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Amrita Pritam
अमृता प्रीतम ने 20वीं सदी के हिंदी और पंजाबी साहित्य को समृद्ध किया, जिसमें 100 से अधिक पुस्तकें शामिल हैं। उनकी रचनाओं में कविता, उपन्यास, जीवनी, निबंध और लोक गीतों का संग्रह शामिल है, जो हिंदी और पंजाबी दोनों भाषाओं में लिखी गई हैं। उनकी रचनाओं का रूसी, जर्मन और अन्य यूरोपीय भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।
प्रीतम सामाजिक मुद्दों, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों पर अपनी बेबाक लेखनी के लिए जानी जाती हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास “पिंजर” विभाजन के दौरान महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए दर्द को चित्रित करता है।”आज आंखां वारिस शाह नू” शीर्षक वाली उनकी मार्मिक कविता भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान हुए नरसंहार पर शोक व्यक्त करती है।
पुरस्कार और सम्मान:
- साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के लिए, अमृता प्रीतम को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:
- 1956: साहित्य अकादमी पुरस्कार (“पिंजर” उपन्यास के लिए)
- 1958: पंजाब सरकार द्वारा भाषा-विभाग पुरस्कार
- 1969: ज्ञानपीठ पुरस्कार (“प्रेम की पीड़ा” कहानी संग्रह सहित उनके समग्र साहित्यिक योगदान के लिए)
जीवन और शिक्षा:
- अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 को लाहौर, ब्रिटिश भारत में हुआ था।
- उन्होंने लाहौर में ही अपनी शिक्षा प्राप्त की।
- 31 अक्टूबर 2005 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।
प्रमुख रचनाएं:
- उपन्यास: पिंजर, कट्ठा, नदी, काला गुलाब, आदि
- कविता संग्रह: सूरजमुखी, चूनरी दी रंग, कागज का कश्ती, आदि
- कहानी संग्रह: दो हथ, इंद्रधनुष, आदि
- आत्मकथा: रसीदी टिकट
अमृता प्रीतम हिंदी और पंजाबी साहित्य की एक प्रमुख स्तंभ थीं। अपने साहित्यिक योगदान, सामाजिक मुद्दों पर बेबाक लेखन और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए वे हमेशा याद की जाएंगी।अमृता प्रीतम न केवल एक लेखिका थीं, बल्कि वे एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया।वे एक प्रेरक व्यक्तित्व थीं जिन्होंने कई लोगों को प्रेरित किया।