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Arthik Evam Videsh Neeti
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sardar Patel
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹400 ₹300
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
SKU:
Page Extent:
176
आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित सरदार पटेल की सोच और दृष्टिकोण अत्यंत व्यावहारिक थे। अधिक उत्पादन एवं समान वितरण उनकी आर्थिक नीति के मूल तत्त्व थे। आम जनता को उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति हेतु भरपूर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सरकार पर अपना प्रभाव दिखाते हुए श्रम और पूँजी निर्माण पर जोर दिया। मंत्रिमंडल की बैठकों में समय-समय पर उन्होंने आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। विदेश नीति पर भी उनका दृष्टिकोण काफी स्पष्ट व व्यावहारिक रहा है। राष्ट्रमंडल की सदस्यता प्राप्त करने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा हेतु उन्होंने जोरदार प्रयास किए थे। उनके सुझाव के आधार पर एक ऐसी नीति तैयार की गई, जिससे भारत को एक सार्वभौम एवं स्वतंत्र गणराज्य के रूप में राष्ट्रमंडल का सदस्य बने रहने में मदद मिली। सरदार पटेल को चीन की ओर से किए गए मित्रता-प्रदर्शन तथा ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ में विश्वास नहीं था। उन्होंने चीन की तिब्बत नीति पर एक लंबा-चौड़ा नोट तैयार किया था, जिसमें इसके परिणामों के प्रति देश को चेताया भी था। प्रस्तुत पुस्तक सरदार पटेल के व्यावहारिक एवं विशद चिंतन की यात्रा करवाती है|
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Neeti” Cancel reply
Description
आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित सरदार पटेल की सोच और दृष्टिकोण अत्यंत व्यावहारिक थे। अधिक उत्पादन एवं समान वितरण उनकी आर्थिक नीति के मूल तत्त्व थे। आम जनता को उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति हेतु भरपूर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सरकार पर अपना प्रभाव दिखाते हुए श्रम और पूँजी निर्माण पर जोर दिया। मंत्रिमंडल की बैठकों में समय-समय पर उन्होंने आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। विदेश नीति पर भी उनका दृष्टिकोण काफी स्पष्ट व व्यावहारिक रहा है। राष्ट्रमंडल की सदस्यता प्राप्त करने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा हेतु उन्होंने जोरदार प्रयास किए थे। उनके सुझाव के आधार पर एक ऐसी नीति तैयार की गई, जिससे भारत को एक सार्वभौम एवं स्वतंत्र गणराज्य के रूप में राष्ट्रमंडल का सदस्य बने रहने में मदद मिली। सरदार पटेल को चीन की ओर से किए गए मित्रता-प्रदर्शन तथा ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ में विश्वास नहीं था। उन्होंने चीन की तिब्बत नीति पर एक लंबा-चौड़ा नोट तैयार किया था, जिसमें इसके परिणामों के प्रति देश को चेताया भी था। प्रस्तुत पुस्तक सरदार पटेल के व्यावहारिक एवं विशद चिंतन की यात्रा करवाती है|
About Author
जन्म : 31 अक्तूबर, 1875 को गुजरात के बोरसद ताल्लुक के करमसद गाँव में।
शिक्षा : सन् 1897 में मैट्रिक तथा 1900 में डिस्ट्रिक्ट प्लीडर (जिला अधिवक्ता) की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। सन् 1910 में विलायत चले गए, जहाँ रोमन लॉ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। स्वतंत्रता से पहले ही सन् 1946 में पं. नेहरू की अंतरिम सरकार में गृह और सूचना एवं प्रसारण विभाग का कार्यभार सँभाला। एक उच्च कोटि के प्रशासक के रूप में ख्यात हुए। स्वतंत्रता के बाद देश की 600 से अधिक छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर भारत को एकता के सूत्र में बाँधने का महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक कार्य किया। ‘लौह पुरुष’ के उपनाम से प्रसिद्ध।
निधन : 15 दिसंबर, 1950 को।
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