लाला सीताराम का जन्म 20 जनवरी, 1858 (कहीं 1861 भी मिलता है) को अयोध्या में हुआ था। उनके पुरखे जौनपुर के थे, जो अयोध्या के प्रसिद्ध संत बाबा रघुनाथ दास के शिष्य हो गए थे और अयोध्या में रहने लगे थे। सन् 1879 में सीतारामजी ने बी.ए. के बाद वकालत की डिग्री भी ली। कुछ समय तक ‘अवध अखबार’ के संपादक रहे। बाद में क्वींस कॉलेज, बनारस में अध्यापक हो गए। इसके बाद सीतापुर में भी अध्यापन किया। कालक्रम में अंग्रेजों ने असिस्टेंट इंस्पेक्टर और डिप्टी कलेक्टर भी बना दिया। वैदिक साहित्य में उनकी गहरी रुचि थी। ‘प्रयाग प्रदीप’ से जानकारी मिलती है कि सन् 1883 से उनकी पुस्तकें प्रकाशित होने लगी थीं। उन्हें अंग्रेजी, संस्कृत और फारसी आदि कई भाषाओं का ज्ञान था। ब्रजभाषा में कविताएँ भी लिखा करते थे। संस्कृत के क्लिष्ट काव्यों तथा दुरूह नाटकों का हिंदी में अनुवाद किया। इनमें कालिदास, भवभूति, शुद्रक, हर्ष आदि के कई नाटक प्रमुख थे। ब्रिटिश सरकार ने शिक्षा, प्रशासन व साहित्य में उनकी उपलब्धियों को देखकर ‘रायबहादुर’ की उपाधि प्रदान की थी।
हेमंत शर्मा पुश्तैनी रिश्ता अयोध्या से, पर जन्म से बनारसी।पढ़ाई के नाम पर बी.एच.यू. से हिंदी में डॉक्टरेट। बाद में वहीं विजिटिंग प्रोफेसर भी हुए।समाज, प्रकृति, उत्सव, संस्कृति, परंपरा, लोकजीवन का ज्ञान काशी में ही हुआ; शब्द तात्पर्य और धारणाओं की समझ भी वहीं बनी। 16 साल तक लखनऊ में रह जनसत्ता, हिंदुस्तान में संपादकी की, फिर दिल्ली में लंबे अर्से से टी.वी. पत्रकारिता। अयोध्या आंदोलन को काफी करीब से देखा । ताला खुलने से लेकर ध्वंस तक की हर घटना की रिपोर्टिंग के लिए अयोध्या में मौजूद इकलौते पत्रकार ।पत्रकारिता के सर्वोच्च पुरस्कार 'गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान' से पुरस्कृत। उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च पुरस्कार 'यशभारती' से सम्मानित ।अयोध्या पर सबसे प्रामाणिक पुस्तकों 'युद्ध में अयोध्या' और 'अयोध्या का चश्मदीद' के लेखक कैलाश मानसरोवर की अंतर्यात्रा कराती पुस्तक 'द्वितीयोनास्ति' बहुचर्चित 'तमाशा मेरे आगे', 'एकदा भारतवर्षे' और 'देखो हमरी काशी' अन्य लोकप्रिय कृतियाँ ।गुजर-बसर के लिए पत्रकारिता और जीवन जीने का सहारा लेखन । अब दिल्ली में बनारसीपन के विस्तार में लगे हैं। ,br. नीना राय का जन्म पुणे, भारत में हुआ था। वह प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली की पूर्व छात्रा हैं। नीना को हिंदू धर्मग्रंथों में निहित ज्ञान को लिखने और समझने का शौक है। वह धार्मिक ग्रंथों को समझने के लिए वर्षों से संस्कृत का अध्ययन कर रही हैं। वह अंग्रेजी, हिंदी, भोजपुरी में भी पारंगत हैं और उन्होंने स्पेनिश, अरबी और उर्दू सीखी है। नीना एक निपुण अमूर्त कलाकार हैं। अतीत में, मीडिया में काम करने के अलावा, उन्होंने एक फैशन मॉडल और एक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में भी काम किया है।
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