Bharat Mein Islam (Hardback)

Publisher:
Nayee Kitab Prakashan
| Author:
Acharya Chatursen
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

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272

आज भारतीय मुसलमान पाकिस्तान का प्राप्तव्य पा चुके हैं। वहीं ये अपनी कट्टर, अनुदार और साम्प्रदायिक भावना का जो उद्दीपन कर चुके हैं, स्पष्ट ही ऐसी है कि जिसमें किसी भी हिन्दू का पाकिस्तान में प्रतिष्ठा और स्वतन्त्र से रहना सम्भव ही नहीं है। परन्तु हमारी दिक्कते तो अभी वैसी ही गम्भीर बनी हुई हैं। जो मुसलमान भारत में रह गए हैं, उन्हें भारतीय भावना से ओतप्रोत करने का अभी तक कोई ठोस कार्यक्रम नहीं बनाया गया । आज वे भारत में अपने को खोया-सा, पराया-सा समझ रहे हैं। उनमें विद्रोह की भावना भी है। दूसरी ओर भारतीय हिन्दू उन्हें क्रोध और विद्वेष से भावना वे देखते हैं। चाहे जितनी भी यह भावना छिपाई जाए, यह छिप नहीं रही है |

इन दोनों भावनाओं के लिए सरकारी कानून या शाब्दिक घोषणाएं अपर्याप्त है। समय की आवश्यकता है कि मुस्लिम समाज के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक नेताओं को प्रामाणिकता से भारतीय जीवन की मूल धारा को अंगीकार करना चाहिए और हिन्दू समाज को उदारता का परिचय देकर उन्हें स्वीकार कराना चाहिए। इसी में भारत का कल्याण है।

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Description

आज भारतीय मुसलमान पाकिस्तान का प्राप्तव्य पा चुके हैं। वहीं ये अपनी कट्टर, अनुदार और साम्प्रदायिक भावना का जो उद्दीपन कर चुके हैं, स्पष्ट ही ऐसी है कि जिसमें किसी भी हिन्दू का पाकिस्तान में प्रतिष्ठा और स्वतन्त्र से रहना सम्भव ही नहीं है। परन्तु हमारी दिक्कते तो अभी वैसी ही गम्भीर बनी हुई हैं। जो मुसलमान भारत में रह गए हैं, उन्हें भारतीय भावना से ओतप्रोत करने का अभी तक कोई ठोस कार्यक्रम नहीं बनाया गया । आज वे भारत में अपने को खोया-सा, पराया-सा समझ रहे हैं। उनमें विद्रोह की भावना भी है। दूसरी ओर भारतीय हिन्दू उन्हें क्रोध और विद्वेष से भावना वे देखते हैं। चाहे जितनी भी यह भावना छिपाई जाए, यह छिप नहीं रही है |

इन दोनों भावनाओं के लिए सरकारी कानून या शाब्दिक घोषणाएं अपर्याप्त है। समय की आवश्यकता है कि मुस्लिम समाज के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक नेताओं को प्रामाणिकता से भारतीय जीवन की मूल धारा को अंगीकार करना चाहिए और हिन्दू समाज को उदारता का परिचय देकर उन्हें स्वीकार कराना चाहिए। इसी में भारत का कल्याण है।

About Author

आचार्य चतुरसेन

जन्म: 26 अगस्त 1891 बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)

मुख्य कृतियों उपन्यास : वैशाली की नगरवधू, तोमनाथ, वर्यरक्षामः, गोली, सोना और खून (चार खंड), रक्त की प्यास, हृदय की प्यास, अमर अभिलाषा, नरमेध, अपराजिता, धर्मपुत्र, देवांगना

नाटक : राजसिंह, मेघनाथ, छत्रसाल, गांधारी, श्रीराम, अमर राठौर, उत्सर्ग, क्षमा

गद्यकाव्य हृदय की परख अन्तस्तल, अनुताप, रूप, दुःख, मां गंगी, अनूपशहर के घाट पर, चित्तौड़ के किले में, स्वदेश

आत्मकया: मेरी आत्मकहानी

कहानी संग्रह: हिन्दी भाषा और साहित्य का इतिहास

(सात खंड), अक्षत, रजकण, वीर मालक, मेघनाद, सीताराम, सिंहगढ़ विजय, वीरगाथा, लम्बग्रीव, दुखवा में कासों कहूं सजनी, कैदी, आदर्श बालक, सोया हुआ शहर, काहानी खत्म होई, परती और आसमान, मेरी प्रिय कहानियां

एकांकी संग्रह : राधाकृष्ण, पांच एकांकी, प्रवुद्ध, सत्यव्रत हरिश्चंद्र, अष्ट मंगल

अन्य : आरोग्य शास्त्र, अमीरों के रोग, छूत की बीमारियां, सुगम चिकित्सा, काम-कला के भेद (आयुर्वेदिक ग्रंथ), सत्याग्रह और असहयोग, गोलसभा, तरलाग्नि, गांधी की आंधी (पराजित गांधी), मील के पंजे में जिन्दगी की कराह (राजनीति)।

इनके अतिरिक्त प्रौढ़ शिक्षा, स्वास्थ्य, धर्म, इतिहास, संस्कृति और नैतिक शिक्षा पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी है।

निवन 2 फरवरी, 1960

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