Bharat mein Print, Electronic Aur New Media

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sundeep Kulshrestha
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

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Book Type

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Page Extent:
28

कल तक भारत में जिस मीडिया को पूर्णकालिक आमदनी का जरिया नहीं माना जाता था, आज वही दुनिया की सबसे बड़ी मीडिया इंडस्ट्री बन गया है। अपने आप में यह एक चमत्कार से कम नहीं है। आज मीडिया की करीब-करीब सभी विधाओं का विस्तार मायावी ढंग से हुआ है। प्रिंट हो, ब्रॉडकास्ट, टेलीविजन या फिर सोशल मीडिया—सभी में पेशेवरों की जबरदस्त माँग है। जितनी माँग है, उसकी तुलना में आपूर्ति अत्यंत कम है। बेरोजगारी के कारण बड़ी संऌख्या में नौजवान इस क्षेत्र में आते हैं और किस्मत आजमाना चाहते हैं, लेकिन इन बेरोजगारों को तराशकर एक अच्छे मीडियाकर्मी में बदलने वाली टकसाल का अकाल है। ऐसे में लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ के लिए चुनौतियों का एक विराट जाल सामने है। कुहासे भरे माहौल में रोशनी की एक किरण की तरह संदीप कुलश्रेष्ठ इस पुस्तक को हमारे बीच लेकर आए हैं। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। संदीप ने इस पुस्तक के माध्यम से गागर में सागर भरने का काम किया है। पत्रकारिता के छात्रों और इस क्षेत्र में नए पेशेवरों के लिए संदीप की यह किताब ज्ञान के अनूठे झरने की तरह है। आज के दौर में मीडियाकर्मी जिस संकट का सामना कर रहे हैं, उसका सामना करने में यह पुस्तक कुंजी का काम करेगी।.

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Description

कल तक भारत में जिस मीडिया को पूर्णकालिक आमदनी का जरिया नहीं माना जाता था, आज वही दुनिया की सबसे बड़ी मीडिया इंडस्ट्री बन गया है। अपने आप में यह एक चमत्कार से कम नहीं है। आज मीडिया की करीब-करीब सभी विधाओं का विस्तार मायावी ढंग से हुआ है। प्रिंट हो, ब्रॉडकास्ट, टेलीविजन या फिर सोशल मीडिया—सभी में पेशेवरों की जबरदस्त माँग है। जितनी माँग है, उसकी तुलना में आपूर्ति अत्यंत कम है। बेरोजगारी के कारण बड़ी संऌख्या में नौजवान इस क्षेत्र में आते हैं और किस्मत आजमाना चाहते हैं, लेकिन इन बेरोजगारों को तराशकर एक अच्छे मीडियाकर्मी में बदलने वाली टकसाल का अकाल है। ऐसे में लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ के लिए चुनौतियों का एक विराट जाल सामने है। कुहासे भरे माहौल में रोशनी की एक किरण की तरह संदीप कुलश्रेष्ठ इस पुस्तक को हमारे बीच लेकर आए हैं। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। संदीप ने इस पुस्तक के माध्यम से गागर में सागर भरने का काम किया है। पत्रकारिता के छात्रों और इस क्षेत्र में नए पेशेवरों के लिए संदीप की यह किताब ज्ञान के अनूठे झरने की तरह है। आज के दौर में मीडियाकर्मी जिस संकट का सामना कर रहे हैं, उसका सामना करने में यह पुस्तक कुंजी का काम करेगी।.

About Author

5 फरवरी, 1964 को मंदसौर में जनमे संदीप कुलश्रेष्ठ ने अपने गृहनगर महाकाल की नगरी उज्जैन से बी.एस-सी., एल-एल.बी. और एम.जे.एम.सी. तक की शिक्षा प्राप्त की है। 1985 में मासिक पत्रिका ‘सनातन संस्कृति’ में प्रबंध संपादक के रूप में पत्रकारिता की शुरुआत। इसके बाद उन्होंने 1990 में राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘लोकनब्ज’ की नींव डाली। विभिन्न समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों पर उनके अनेक लेख प्रकाशित। सन् 2003 से ‘सद्भावना स्मारिका’ का प्रतिवर्ष संपादन। ‘आस्था एवं विश्वास का विराट संगम: सिंहस्थ 2016’ स्मारिका का संपादन। दो दशक से उज्जयिनी जिला शतरंज संघ के अध्यक्ष। पिछले 23 वर्षों सन् 1995 से संदीप कुलश्रेष्ठ सुप्रसिद्ध न्यूज चैनल ‘आज तक’ और ‘दूरदर्शन’ के संवाददाता के रूप में लगातार सक्रिय। सन् 2009 से उज्जैन के पहले न्यूज पोर्टल ‘दस्तक न्यूज डॉट कॉम’ की शुरुआत। इस न्यूज पोर्टल की लोकप्रियता का आलम यह है कि वर्तमान में इसकी यूजर्स संख्या ढाई करोड़ से भी अधिक है। संदीप उज्जैन के पहले ऐसे पत्रकार हैं, जो प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और न्यू मीडिया तीनों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। संदीप कुलश्रेष्ठ अपने पिता श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ द्वारा गत 54 वर्षों से स्थापित उज्जैन की सुप्रसिद्ध शैक्षिणिक संस्था ‘श्रीपॉल एजुकेशन सोसायटी’ एवं ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ से भी गत 33 वर्षों से संचालन के नाते सक्रिय।

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