Gandhi Ke Sapnoo Ka Bharat

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Mahesh Prasad Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

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राष्‍ट्रीय संदर्भ में तो आज गांधी की शिक्षाओं तथा प्रयोगों की जरूरत काफी बढ़ गई है। खेद की बात यह है कि जिस देश के महान‍् मनीषी ने विश्‍व को अनेक उच्‍च विचार दिए, विश्‍‍व मानवता को संकटों से मुक्‍ति का मार्ग बताया, उसी के महान् भारत में स्वाभिमान, राष्‍ट्रीयता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्‍ठा, सहनशीलता आदि गुणों का ह्रास हो रहा है और देश के चारों तरफ समस्याओं के काले बादल छाने लगे हैं। हमें आज की परिस्थितियों में यह देखकर निश्‍चित रूप से प्रसन्नता हुई है कि देश और विदेश सभी जगह लोगों ने कुछ हद तक गांधी के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है और वह दिन अब अधिक दूर नहीं जब दुनिया का हर व्यक्‍ति गांधीवादी पद्धति का अवलंबन शुरू कर दे। ऐसा होगा, तभी मानवता को जीवित रखा जा सकता है। अमेरिका, इंग्लैंड, पश्‍चिम जर्मनी, जापान और अन्य दूसरे विकसित देशों के लोग आज गांधी द्वारा बताए गए अहिंसात्मक प्रतिरोध के द्वारा अपनी- अपनी सरकारों पर दवाब डाल रहे हैं कि वे मानवता का संहार करनेवाले हथियारों पर प्रतिबंध संबंधी बातचीत में तेजी लाएँ। महात्मा गांधी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कार्यों में अंतर करने को तैयार नहीं थे। वे मानते थे कि मनुष्य के सभी कार्य एवं समस्याएँ मूल रूप में नैतिक हैं, अत: उनका समाधान भी नैतिक उपायों से ही संभव है। गांधी के सपनों का भारत में विद्वान् लेखक ने गांधीजी के सिद्धांतों और जीवन-मूल्यों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि हम सब अगर गांधीजी के बताए रास्ते पर चलें तो एक सशक्‍त, लोककल्याणकारी और गांधीजी के सपनों के भारत का निर्माण कर सकते हैं। आओ, हम सब भारतवासी इस पुनीत कार्य में भागीदार बनें ।.

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राष्‍ट्रीय संदर्भ में तो आज गांधी की शिक्षाओं तथा प्रयोगों की जरूरत काफी बढ़ गई है। खेद की बात यह है कि जिस देश के महान‍् मनीषी ने विश्‍व को अनेक उच्‍च विचार दिए, विश्‍‍व मानवता को संकटों से मुक्‍ति का मार्ग बताया, उसी के महान् भारत में स्वाभिमान, राष्‍ट्रीयता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्‍ठा, सहनशीलता आदि गुणों का ह्रास हो रहा है और देश के चारों तरफ समस्याओं के काले बादल छाने लगे हैं। हमें आज की परिस्थितियों में यह देखकर निश्‍चित रूप से प्रसन्नता हुई है कि देश और विदेश सभी जगह लोगों ने कुछ हद तक गांधी के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है और वह दिन अब अधिक दूर नहीं जब दुनिया का हर व्यक्‍ति गांधीवादी पद्धति का अवलंबन शुरू कर दे। ऐसा होगा, तभी मानवता को जीवित रखा जा सकता है। अमेरिका, इंग्लैंड, पश्‍चिम जर्मनी, जापान और अन्य दूसरे विकसित देशों के लोग आज गांधी द्वारा बताए गए अहिंसात्मक प्रतिरोध के द्वारा अपनी- अपनी सरकारों पर दवाब डाल रहे हैं कि वे मानवता का संहार करनेवाले हथियारों पर प्रतिबंध संबंधी बातचीत में तेजी लाएँ। महात्मा गांधी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कार्यों में अंतर करने को तैयार नहीं थे। वे मानते थे कि मनुष्य के सभी कार्य एवं समस्याएँ मूल रूप में नैतिक हैं, अत: उनका समाधान भी नैतिक उपायों से ही संभव है। गांधी के सपनों का भारत में विद्वान् लेखक ने गांधीजी के सिद्धांतों और जीवन-मूल्यों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि हम सब अगर गांधीजी के बताए रास्ते पर चलें तो एक सशक्‍त, लोककल्याणकारी और गांधीजी के सपनों के भारत का निर्माण कर सकते हैं। आओ, हम सब भारतवासी इस पुनीत कार्य में भागीदार बनें ।.

About Author

महेश प्रसाद सिंह जन्ध: 11 फरवरी, 1963 को समस्तीपुर जिले के मोहिउद‍्दीन नगर प्रखंड स्थित हरैल गाँव में। शिक्षा: बी. ए. प्रतिष्‍ठा ( राजनीति विज्ञान), एम. ए., बी.एड., पी-एच. डी. । कृतित्व: डॉ. सिंह बिहार शिक्षा सेवा से जुड़ गए। इनका प्रथम पदस्थापन क्षेत्र शिक्षा पदा‌ध‌िकारी महनार के रूप में हुआ । फिर वे बाढ़ में एस. डी. ई. ओ., मधुबनी के जिला शिक्षा अधीक्षक, सीतामढ़ी, मोतिहारी, मधुबनी के जिला शिक्षा पदा‌ध‌िकारी के रूप में सराहनीय कार्य किया। इनके कार्यकाल में किए गए इनके उत्कृष्‍ट कार्यों एवं सेवा के चलते उपर्युक्‍त जिलों को विभिन्न तरह के राष्‍ट्रीय एवं राज्य स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। डॉ. सिंह ने जिन-जिन जिलों में अपना योगदान कर समाज-सेवा की, वहाँ- वहाँ के जिला पदा‌ध‌िकारियों ने इन्हें विशेष रूप से प्रशंसा-पत्र प्रदान किए।.

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