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Jammu wa Kashmir : Mera aahat swarg
Publisher:
Indus Scroll Press
| Author:
Jawaharlal Kaul
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹650 ₹488
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3-5 Days
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9789390981595
Category Politics/Government
Category: Politics/Government
Page Extent:
300
जम्मू कश्मीर की अपनी कोई समस्या थी ही नहीं जिसे वह स्वयं सुलझा नहीं सकता। समस्याएं भारत के राजनैतिक दलों की थी जिन्हें वे कश्मीरी नेताओं पर थोपते थे। इकबाल एक मुस्लिम विश्व का सपना देख रहे थे जिसमें कश्मीर समेत भारत का पूरा उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, अफगनिस्तान, मध्य एशियाई गणराज्य, ईरान और दर्जन भर अरब देश शामिल हों। पहले भारत के मुस्लिम बहुल राज्यों को एक विराट राज्य में बदलना होगा, यानी कश्मीर का अस्तित्व पंजाब में विलीन हो जाता। अहमदिया जमात कश्मीर को ही नये इस्लाम का स्वर्ग बनाना चाहती थी जिसमें सुन्नियों के लिए कोई जगह नहीं होती। मुस्लिम लीग छल-बल से कश्मीर को हड़पना चाहती थी। अहमदिया पंथ को काफिर मानते हुए भी उसने उसी के मुखिया से हाथ मिलाया था। इसलिए जम्मू कश्मीर समिति के सर्वेसर्वा भी गैर कश्मीरी ही थे। लाहोर के इशारों पर ही कश्मीर का आंदोलन चलता था। शेख अब्दुल्ला की सभी नीतियां स्वीकार या अस्वीकार होकर लाहोर से होकर ही आती थी।
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Description
जम्मू कश्मीर की अपनी कोई समस्या थी ही नहीं जिसे वह स्वयं सुलझा नहीं सकता। समस्याएं भारत के राजनैतिक दलों की थी जिन्हें वे कश्मीरी नेताओं पर थोपते थे। इकबाल एक मुस्लिम विश्व का सपना देख रहे थे जिसमें कश्मीर समेत भारत का पूरा उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, अफगनिस्तान, मध्य एशियाई गणराज्य, ईरान और दर्जन भर अरब देश शामिल हों। पहले भारत के मुस्लिम बहुल राज्यों को एक विराट राज्य में बदलना होगा, यानी कश्मीर का अस्तित्व पंजाब में विलीन हो जाता। अहमदिया जमात कश्मीर को ही नये इस्लाम का स्वर्ग बनाना चाहती थी जिसमें सुन्नियों के लिए कोई जगह नहीं होती। मुस्लिम लीग छल-बल से कश्मीर को हड़पना चाहती थी। अहमदिया पंथ को काफिर मानते हुए भी उसने उसी के मुखिया से हाथ मिलाया था। इसलिए जम्मू कश्मीर समिति के सर्वेसर्वा भी गैर कश्मीरी ही थे। लाहोर के इशारों पर ही कश्मीर का आंदोलन चलता था। शेख अब्दुल्ला की सभी नीतियां स्वीकार या अस्वीकार होकर लाहोर से होकर ही आती थी।
About Author
Jawaharlal Kaul is a highly regarded journalist, having served in senior editorial positions of reputed publications, including Dinmaan and Jansatta, where his role was in handling opinion/editorial sections. He was born in Jammu and Kashmir, and has an in-depth reading of the political and cultural developments in the state after India's independence. He has authored three books.
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