Jehad Ka Junoon
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Vivek Saxena & Sushil Rajesh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹250 ₹188
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1-4 Days
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Book Type |
---|
SKU:
Categories: Hindi, Politics/Government
Page Extent:
2
11 सितंबर, 2001 को आतंकवादियों ने न्यूयॉर्क- के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और अमरीका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन पर जिस तरह हमले किए उनसे ओसामा बिन लादेन दुनिया का सबसे खूँखार, खौफनाक और खूंरेजीपसंद शख्स के रूप में उभरा । वह आज भी ब्रह्मांड के रहस्यों की तरह एक पेचीदा पहेली बना है । अमरीका की सरपरस्ती में 40 देशों की सेनाएँ और खुफिया सूचनाएँ भी उसे और उसके काफिले को तलाश नहीं पाई हैं; लेकिन एक कड़वी हकीकत यह भी है कि लादेन सरीखे ‘ जुनूनियों ‘ की पीठ पर अमरीका और पाकिस्तान का ‘ हाथ ‘ रहा है । लादेन सी. आई.ए. का एजेंट रहा और वाशिंगटन से अरबों डॉलर बटोरते हुए मुजाहिदीनों की फौज खड़ी की । आज अमरीका लादेन की आँखों की किरकिरी है । न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के अलावा, उसने दिल्ली और ढाका स्थित अमरीकी दूतावासों को भी उड़ाने की साजिश रची थी । आतंकवादियों को 1 करोड़ की पेशकश की गई थी । ‘ जेहाद का जुनून ‘ में उस साजिश का पहली बार पूरा खुलासा किया गया है । यह अपनी तरह का पहला संकलन है, जिसमें लादेन की शख्सियत, अल कायदा की व्यूह रचना, तालिबान की पृष्ठभूमि, अमरीका की दोगली नीतियों से लेकर अफगानिस्तान पर अमरीकी हमले तक और फिर भारतीय संसद् पर ‘ आई.एस आई. के पिट्ठू ‘ आतंकवादियों के हमले से लेकर ‘ काबुल के नए कारवाँ ‘ तक के तमाम परिदृश्यों को समेटा गया है ।
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Description
11 सितंबर, 2001 को आतंकवादियों ने न्यूयॉर्क- के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और अमरीका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन पर जिस तरह हमले किए उनसे ओसामा बिन लादेन दुनिया का सबसे खूँखार, खौफनाक और खूंरेजीपसंद शख्स के रूप में उभरा । वह आज भी ब्रह्मांड के रहस्यों की तरह एक पेचीदा पहेली बना है । अमरीका की सरपरस्ती में 40 देशों की सेनाएँ और खुफिया सूचनाएँ भी उसे और उसके काफिले को तलाश नहीं पाई हैं; लेकिन एक कड़वी हकीकत यह भी है कि लादेन सरीखे ‘ जुनूनियों ‘ की पीठ पर अमरीका और पाकिस्तान का ‘ हाथ ‘ रहा है । लादेन सी. आई.ए. का एजेंट रहा और वाशिंगटन से अरबों डॉलर बटोरते हुए मुजाहिदीनों की फौज खड़ी की । आज अमरीका लादेन की आँखों की किरकिरी है । न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के अलावा, उसने दिल्ली और ढाका स्थित अमरीकी दूतावासों को भी उड़ाने की साजिश रची थी । आतंकवादियों को 1 करोड़ की पेशकश की गई थी । ‘ जेहाद का जुनून ‘ में उस साजिश का पहली बार पूरा खुलासा किया गया है । यह अपनी तरह का पहला संकलन है, जिसमें लादेन की शख्सियत, अल कायदा की व्यूह रचना, तालिबान की पृष्ठभूमि, अमरीका की दोगली नीतियों से लेकर अफगानिस्तान पर अमरीकी हमले तक और फिर भारतीय संसद् पर ‘ आई.एस आई. के पिट्ठू ‘ आतंकवादियों के हमले से लेकर ‘ काबुल के नए कारवाँ ‘ तक के तमाम परिदृश्यों को समेटा गया है ।
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