![](https://beta.padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Vishwamanav
Rabindranath Tagore
₹500 ₹375
Save: 25%
![](https://beta.padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Advanced Dictionary of Mathematics Formulas
₹600 ₹450
Save: 25%
Kalam Quiz Book
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Manish Rannjan, IAS
| Language:
English
| Format:
Hardback
₹400 ₹300
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
SKU:
Category: General Academics
Page Extent:
2
प्राणियों में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है, जो बातचीत द्वारा अपने विचारों और अपने सुख-दुःख की बातों को व्यक्त करने तथा दूसरों के विचारों और सुख-दुःख की बातों को समझने की क्षमता रखता है। मनुष्य ने बातचीत के अपने इस विशेष गुण को आदिकाल से आज तक किए गए प्रयोगों एवं अभ्यासों द्वारा विकसित किया और सा है। बातचीत विचारों के आदान-प्रदान का सबसे सरल माध्यम है, जिससे हम किसी पर भी अपनी छाप छोड़ सकते हैं, अपने व दूसरों के अनेक अव्यक्त गुणों को उभारकर सामने ला सकते हैं और दूसरों के गुणों को ग्रहण कर लाभान्वित हो सकते हैं। बातचीत एक कला ही नहीं वरन् एक विज्ञान भी है और उसी तरह इसके क्रमानुगत निश्चित नियम भी हैं। विज्ञान के रूप में प्रयोग द्वारा हम इसका विकास करते हैं और कला के रूप में हम इसके निरंतर अभ्यास से इसमें दक्षता प्राप्त करते हैं। बातचीत की कला में प्रवीण लोग निश्चय ही जीवन का सबसे अधिक आनंद ले सकते हैं। बोल-व्यवहार की कला का शिक्षण तथा निरंतर अभ्यास मनुष्य जीवन को सुखी, सुखद और सार्थक बनाने का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में प्रायः इस कला के शिक्षण और साधना की उपेक्षा की जाती है। इसीलिए हमारे घरों और समाज में होनेवाले तरह-तरह के अनावश्यक विवाद और विग्रह के कारण सुख-शांति की कमी पाई जाती है। इसी कमी को पूरा करने के लिए प्रस्तुत है पुस्तक—‘बातचीत की कला’। निश्चित ही यह पुस्तक युवा पीढ़ी को इस कला का व्यावहारिक ज्ञान देकर उसके निरंतर अभ्यास द्वारा उनका पारिवारिक, सामाजिक एवं व्यावसायिक जीवन सुखी, सुखद और सफल बनाने में सहायक होगी।.
Be the first to review “Kalam Quiz Book” Cancel reply
Description
प्राणियों में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है, जो बातचीत द्वारा अपने विचारों और अपने सुख-दुःख की बातों को व्यक्त करने तथा दूसरों के विचारों और सुख-दुःख की बातों को समझने की क्षमता रखता है। मनुष्य ने बातचीत के अपने इस विशेष गुण को आदिकाल से आज तक किए गए प्रयोगों एवं अभ्यासों द्वारा विकसित किया और सा है। बातचीत विचारों के आदान-प्रदान का सबसे सरल माध्यम है, जिससे हम किसी पर भी अपनी छाप छोड़ सकते हैं, अपने व दूसरों के अनेक अव्यक्त गुणों को उभारकर सामने ला सकते हैं और दूसरों के गुणों को ग्रहण कर लाभान्वित हो सकते हैं। बातचीत एक कला ही नहीं वरन् एक विज्ञान भी है और उसी तरह इसके क्रमानुगत निश्चित नियम भी हैं। विज्ञान के रूप में प्रयोग द्वारा हम इसका विकास करते हैं और कला के रूप में हम इसके निरंतर अभ्यास से इसमें दक्षता प्राप्त करते हैं। बातचीत की कला में प्रवीण लोग निश्चय ही जीवन का सबसे अधिक आनंद ले सकते हैं। बोल-व्यवहार की कला का शिक्षण तथा निरंतर अभ्यास मनुष्य जीवन को सुखी, सुखद और सार्थक बनाने का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में प्रायः इस कला के शिक्षण और साधना की उपेक्षा की जाती है। इसीलिए हमारे घरों और समाज में होनेवाले तरह-तरह के अनावश्यक विवाद और विग्रह के कारण सुख-शांति की कमी पाई जाती है। इसी कमी को पूरा करने के लिए प्रस्तुत है पुस्तक—‘बातचीत की कला’। निश्चित ही यह पुस्तक युवा पीढ़ी को इस कला का व्यावहारिक ज्ञान देकर उसके निरंतर अभ्यास द्वारा उनका पारिवारिक, सामाजिक एवं व्यावसायिक जीवन सुखी, सुखद और सफल बनाने में सहायक होगी।.
About Author
३० अक्तूबर, १९२० को बर्मा के मैःटीला शहर में जनमी श्रीमती मानवती आर्य्या ने जीवन के प्रथम छब्बीस वर्ष बर्मा में बिताते हुए बर्मी और अंग्रेजी में ही औपचारिक शिक्षा प्राप्त की। अध्ययन, अध्यापन, लेखन और जन-संपर्क इनके बचपन से आज तक के शौक बने रहे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रेरक सान्निध्य में तन-मन-धन से समर्पित होकर स्वातंत्र्य संग्राम में भाग ले सकने के सुयोग को, युद्ध की विभीषिकाओं के बावजूद, ये अपने युवा जीवन का सर्वोत्तम अंश और कृष्ण चंद्र आर्य की जीवन साथी तथा विपश्यना साधक होने को अपने व्यक्तिगत जीवन का परम सौभाग्य मानती हैं। संप्रति: जनहित के कार्यों में निष्काम भाव से व्यस्त रहती हैं। कृष्ण चंद्र आर्य सन् १९१९ की विजयदशमी के दिन दिल्ली में जनमे श्री कृष्ण चंद्र आर्य में देशभक्ति तथा समाज-सेवा की भावना अपने पिताजी के साथ आर्य समाज के कार्यकर्ता के रूप में जाग्रत् हुई थी। ‘भाषण देने और लेखन कार्य करने में शैक्षणिक डिग्रियों का अभाव बाधक नहीं हो सकता।’ यह बात इन्होंने अपने स्वाध्याय से योग्यता अर्जित करके सिद्ध कर दी और पत्रकारिता को अपनी जीविका का साधन बनाकर अपने घर-परिवार तथा देश व समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाने में सफल रहे। ‘बातचीत की कला’ में इन्होंने अपने जीवन के अनुभवों का सार प्रस्तुत किया है।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Kalam Quiz Book” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.