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Kalpana Chawla : Sitaron Se Aage
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Anil Padmanabhan
| Language:
English
| Format:
Hardback
₹300 ₹225
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
SKU:
Category: Biography & Memoir
Page Extent:
8
कर्मवीर कभी विघ्न-बाधाओं से विचलित नहीं होते। ध्येयनिष्ठ, कर्तव्य-परायण व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं। भाग्य के आश्रित रहनेवाले कभी कुछ नया नहीं कर सकते। इतिहास साक्षी है—संसार में जिन्होंने संकटों को पार कर कुछ नया कर दिखाया, यश और सम्मान के चरमोत्कर्ष को प्राहृश्वत किया। ऐसा ही इतिहास रचा हरियाणा के एक छोटे से नगर करनाल के मध्यवर्गीय परिवार में जनमी कल्पना चावला ने। बाल्यकाल से ही वह सितारों के सपने देखा करती थी। देश-विभाजन की त्रासदी के बाद विस्थापित परिवार की जर्जर आर्थिक स्थिति के बावजूद अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति, तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता, अटूट आत्मविश्वास तथा सतत कठोर परिश्रम जैसे गुणों के कारण ही वह अंतरिक्ष में जानेवाली प्रथम भारतीय महिला बनी। अधिक उल्लेखनीय तो यह है कि उसे दो बार अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया। सभी आयु वर्ग, विशेषकर युवाओं एवं जीवन में कुछ विशेष कर दिखाने में प्रयत्नरत मेधाओं के लिए असीम प्रेरणास्पद इस जीवनी में प्रसिद्ध पत्रकार श्री अनिल पद्मनाभन ने करनाल और नासा के उसके मित्रों तथा सहयोगियों से बातचीत कर एक ऐसी महिला का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है, जो हम सबके लिए मार्गदर्शक-प्रेरणादायी उदाहरण है कि सतत पुरुषार्थ करें और ध्येयनिष्ठ रहें तो अपने-अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।
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Description
कर्मवीर कभी विघ्न-बाधाओं से विचलित नहीं होते। ध्येयनिष्ठ, कर्तव्य-परायण व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं। भाग्य के आश्रित रहनेवाले कभी कुछ नया नहीं कर सकते। इतिहास साक्षी है—संसार में जिन्होंने संकटों को पार कर कुछ नया कर दिखाया, यश और सम्मान के चरमोत्कर्ष को प्राहृश्वत किया। ऐसा ही इतिहास रचा हरियाणा के एक छोटे से नगर करनाल के मध्यवर्गीय परिवार में जनमी कल्पना चावला ने। बाल्यकाल से ही वह सितारों के सपने देखा करती थी। देश-विभाजन की त्रासदी के बाद विस्थापित परिवार की जर्जर आर्थिक स्थिति के बावजूद अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति, तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता, अटूट आत्मविश्वास तथा सतत कठोर परिश्रम जैसे गुणों के कारण ही वह अंतरिक्ष में जानेवाली प्रथम भारतीय महिला बनी। अधिक उल्लेखनीय तो यह है कि उसे दो बार अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया। सभी आयु वर्ग, विशेषकर युवाओं एवं जीवन में कुछ विशेष कर दिखाने में प्रयत्नरत मेधाओं के लिए असीम प्रेरणास्पद इस जीवनी में प्रसिद्ध पत्रकार श्री अनिल पद्मनाभन ने करनाल और नासा के उसके मित्रों तथा सहयोगियों से बातचीत कर एक ऐसी महिला का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है, जो हम सबके लिए मार्गदर्शक-प्रेरणादायी उदाहरण है कि सतत पुरुषार्थ करें और ध्येयनिष्ठ रहें तो अपने-अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।
About Author
श्री अनिल पद्मनाभन न्यूयॉर्क में ‘इंडिया टुडे’ के ब्यूरो चीफ हैं।
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