Khufiyagiri Yuge Yuge

Publisher:
Vani prakashan
| Author:
Trilok Nath Pandey
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

371

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ख़ुफ़ियागीरी युगे-युगे – कहानी साहित्य की एक ऐसी परिष्कृत विधा है जो गूढ़ और दार्शनिक तत्त्वों के साथ जीवन को अलहदा रूप में देखने को उत्साहित करती है। कहानियाँ यथार्थ और कल्पना के मध्य एक ऐसे सेतु का निर्माण करती हैं जो एक नितान्त भिन्न संसार का अन्य अपरिचित संसार से परिचय कराती हैं। ख़ुफ़ियागीरी युगे युगे पौराणिक और ऐतिहासिक युग की कहानियों का एक संग्रह है। इसमें शामिल कहानियाँ गुप्तचरी के मिज़ाज में छिपी जासूसी के सूक्ष्म तत्त्वों को उभारती हैं। इन तत्त्वों की उपस्थिति इतनी सूक्ष्म होती है कि यह एक छोटी-सी घटना प्रतीत होती है कि जीवन में कुछ घटा और एक स्मृति की तरह वह समय के किसी छोर पर अटक गया। समय के इस आभास को पाठक अपनी बौद्धिक क्षमतानुसार ग्रहण करते हैं । जासूसी कहानियों को हिन्दी भाषा में शुरुआती पाठक देने में देवकीनन्दन खत्री के गल्प चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता सन्तति और भूतनाथ का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यही पाठक जासूसी कहानियों को हिन्दी भाषा में शुरुआती पाठक देने में देवकीनन्दन खत्री के गल्प चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता सन्तति और भूतनाथ का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यही पाठक कालान्तर में गम्भीर साहित्य की ओर आ गये। बांग्ला साहित्य में भी जासूसी, रहस्य-रोमांच कथाओं की सुदीर्घ परम्परा है। ख़ुफ़ियागीरी युगे युगे इसी परम्परा का विस्तार है। इस संग्रह की कहानियों की अनुभूति रोमांचक है। यह विविध कालखण्डों का प्रतिनिधित्व करती हैं। साहित्य लोकरीति और लोक प्रवृत्तियों का आईना होता है और एक अर्थ में इस संग्रह की कहानियाँ इतिहास के पन्नों को खंगालती हुई भविष्य के नये सन्दर्भ निर्मित करती हैं।

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Description

ख़ुफ़ियागीरी युगे-युगे – कहानी साहित्य की एक ऐसी परिष्कृत विधा है जो गूढ़ और दार्शनिक तत्त्वों के साथ जीवन को अलहदा रूप में देखने को उत्साहित करती है। कहानियाँ यथार्थ और कल्पना के मध्य एक ऐसे सेतु का निर्माण करती हैं जो एक नितान्त भिन्न संसार का अन्य अपरिचित संसार से परिचय कराती हैं। ख़ुफ़ियागीरी युगे युगे पौराणिक और ऐतिहासिक युग की कहानियों का एक संग्रह है। इसमें शामिल कहानियाँ गुप्तचरी के मिज़ाज में छिपी जासूसी के सूक्ष्म तत्त्वों को उभारती हैं। इन तत्त्वों की उपस्थिति इतनी सूक्ष्म होती है कि यह एक छोटी-सी घटना प्रतीत होती है कि जीवन में कुछ घटा और एक स्मृति की तरह वह समय के किसी छोर पर अटक गया। समय के इस आभास को पाठक अपनी बौद्धिक क्षमतानुसार ग्रहण करते हैं । जासूसी कहानियों को हिन्दी भाषा में शुरुआती पाठक देने में देवकीनन्दन खत्री के गल्प चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता सन्तति और भूतनाथ का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यही पाठक जासूसी कहानियों को हिन्दी भाषा में शुरुआती पाठक देने में देवकीनन्दन खत्री के गल्प चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता सन्तति और भूतनाथ का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यही पाठक कालान्तर में गम्भीर साहित्य की ओर आ गये। बांग्ला साहित्य में भी जासूसी, रहस्य-रोमांच कथाओं की सुदीर्घ परम्परा है। ख़ुफ़ियागीरी युगे युगे इसी परम्परा का विस्तार है। इस संग्रह की कहानियों की अनुभूति रोमांचक है। यह विविध कालखण्डों का प्रतिनिधित्व करती हैं। साहित्य लोकरीति और लोक प्रवृत्तियों का आईना होता है और एक अर्थ में इस संग्रह की कहानियाँ इतिहास के पन्नों को खंगालती हुई भविष्य के नये सन्दर्भ निर्मित करती हैं।

About Author

Trilok Nath Pandey was a senior officer in the Intelligence Bureau (Government of India) for more than three decades. As an astute spymaster he worked at several places and positions, besides undertaking teaching of senior Intelligence Officers at the National Intelligence Academy. He earned several laurels, notable among them being the Indian Police Medal in 2010 for Meritorious Service and President Police Medal in 2017 for Distinguished Service. After retirement in June 2018, he turned to writing, and has so far authored ‘Becoming God’(a novel on Shiva mythology), ‘Premlahri’ (a Hindi novel on love of a Sanskrit poet and a Mughal princess), ‘Chanakya ke Jasoos’ (Hindi novel written in a classical style on the spy-craft used by Chanakya to demolish mighty Magadha Emperor). His third book, again a Hindi nove,l titled ‘Mahabrahman’, relates to the story of a youth who suffers on account of being from a sub-caste of Brahmins, which is treated worse than the untouchable. Meanwhile, he authored two story books – ‘Khufiagiri Yuge Yuge’ (the stories of spying across the ages of Indian history/mythology) and ‘Kashi-Katha’ (the stories of nine great spiritual personalities who belonged to Varanasi).

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