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Prabhawati (PB)
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Sampoorna Kahaniyan : Suryakant Tripathi Nirala (HB)
₹750 ₹600
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Raag Virag (HB)
Publisher:
Lokbharti
| Author:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹495 ₹396
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1-4 Days
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Category: Hindi
Page Extent:
…यह उन कविताओं का संग्रह है जिनमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष, इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है।
…जैसे ‘उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पर आवै’, निराला की कविता आकाश में चक्कर काटने के बाद इसी धरती पर लौट आती है।
…निराला की कल्पना धरती के भीतर पैठकर वनबेला की सुगन्ध के साथ ऊपर उठती है।
…इस धरती के सौन्दर्य से निराला का मन बहुत दृढ़ता से बँधा हुआ है। आकाश में उड़नेवाले रोमांटिक कवियों और धरती के कवि निराला में यही अन्तर है।
…नारी के सौन्दर्य के बिना बसन्त का उल्लास अधूरा है। निराला की शृंगारी रचनाएँ देखकर विरोधी आलोचक कहते थे—ये कैसे छायावादी कवि हैं, जो अपने को ही रहस्यवादी कहते हैं और नारी सौन्दर्य के गीत भी गाते हैं।
…निराला ने गतकर्म सरोज को अर्पित कर दिए, फिर नया कर्म आरम्भ किया, उन्होंने ‘राम की शक्ति-पूजा’ लिखी। ‘सरोज-स्मृति’ से निराला का आधा दु:ख सरोज की मृत्यु के कारण है, आधा उनके अपने संघर्षों के कारण।
…वह दु:ख की कथा सरोज के जन्म से पहले शुरू हुई थी और सरोज की मृत्यु के बाद बहुत दिन तक चलती रही। उसी की एक कड़ी है ‘राम की शक्ति-पूजा’।
…यह संग्रह निराला के सुदीर्घ कवि जीवन की सार्थकता का भी प्रमाण है।
—रामविलास शर्मा (इसी संग्रह से)
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Description
…यह उन कविताओं का संग्रह है जिनमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष, इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है।
…जैसे ‘उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पर आवै’, निराला की कविता आकाश में चक्कर काटने के बाद इसी धरती पर लौट आती है।
…निराला की कल्पना धरती के भीतर पैठकर वनबेला की सुगन्ध के साथ ऊपर उठती है।
…इस धरती के सौन्दर्य से निराला का मन बहुत दृढ़ता से बँधा हुआ है। आकाश में उड़नेवाले रोमांटिक कवियों और धरती के कवि निराला में यही अन्तर है।
…नारी के सौन्दर्य के बिना बसन्त का उल्लास अधूरा है। निराला की शृंगारी रचनाएँ देखकर विरोधी आलोचक कहते थे—ये कैसे छायावादी कवि हैं, जो अपने को ही रहस्यवादी कहते हैं और नारी सौन्दर्य के गीत भी गाते हैं।
…निराला ने गतकर्म सरोज को अर्पित कर दिए, फिर नया कर्म आरम्भ किया, उन्होंने ‘राम की शक्ति-पूजा’ लिखी। ‘सरोज-स्मृति’ से निराला का आधा दु:ख सरोज की मृत्यु के कारण है, आधा उनके अपने संघर्षों के कारण।
…वह दु:ख की कथा सरोज के जन्म से पहले शुरू हुई थी और सरोज की मृत्यु के बाद बहुत दिन तक चलती रही। उसी की एक कड़ी है ‘राम की शक्ति-पूजा’।
…यह संग्रह निराला के सुदीर्घ कवि जीवन की सार्थकता का भी प्रमाण है।
—रामविलास शर्मा (इसी संग्रह से)
About Author
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
निराला का जन्म वसन्त पंचमी, 1896 को बंगाल के मेदिनीपुर ज़िले के महिषादल नामक देशी राज्य में हुआ। निवास उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के गढ़ा कोला गाँव में। शिक्षा हाईस्कूल तक ही हो पाई। हिन्दी, बांग्ला, अंग्रेज़ी और संस्कृत का ज्ञान उन्होंने अपने अध्यवसाय से स्वतंत्र रूप में अर्जित किया।
प्राय: 1918 से 1922 ई. तक निराला महिषादल राज्य की सेवा में रहे, उसके बाद से सम्पादन, स्वतंत्र लेखन और अनुवाद-कार्य। 1922-23 ई. में ‘समन्वय’ (कोलकाता) का सम्पादन। 1923 ई. के अगस्त से ‘मतवाला’ मंडल में। कलकत्ता छोड़ा तो लखनऊ आए, जहाँ गंगा पुस्तकमाला कार्यालय और वहाँ से निकलनेवाली मासिक पत्रिका ‘सुधा’ से 1935 ई. के मध्य तक सम्बद्ध रहे। प्राय: 1940 ई. तक लखनऊ में। 1942-43 ई. से स्थायी रूप से इलाहाबाद में रहकर मृत्यु-पर्यन्त स्वतंत्र लेखन और अनुवाद-कार्य। पहली प्रकाशित
कविता : जन्मभूमि (‘प्रभा’, मासिक, कानपुर; जून 1920)। पहली प्रकाशित पुस्तक : अनामिका (1923 ई.)।
प्रमुख कृतियाँ : आराधना, गीतिका, अपरा, परिमल, गीतगुंज, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, बेला, अर्चना, नए पत्ते, अणिमा, रागविराग, सांध्य काकली, असंकलित रचनाएँ (कविता-संग्रह); बिल्लेसुर बकरिहा, अप्सरा, अलका, कुल्लीभाट, प्रभावती, निरुपमा, चोटी की पकड़, भक्त ध्रुव, भक्त प्रहलाद, महाराणा प्रताप, भीष्म पितामह, चमेली, काले कारनामे, इन्दुलेखा (अपूर्ण) (उपन्यास); सुकुल की बीवी, लिली, चतुरी चमार, महाभारत, सम्पूर्ण कहानियाँ (कहानी-संग्रह); प्रबन्ध प्रतिमा, प्रबन्ध पद्म, चयन, चाबुक, संग्रह (निबन्ध-संग्रह); दो शरण, निराला संचयन, निराला रचनावली (सम्पूर्ण साहित्य)।
निधन : 15 अक्टूबर, 1961
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