Raksha Vigyan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Manmohan Bala
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

338

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228

आदिकाल से युद्धों ने अनेक ऐसी प्रौद्योगिकियों को जन्म देने में विशेष भूमिका निभाई है, जो सभ्यता के विकास में भी महत्त्वपूर्ण रही हैं। उन्नीसवीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति से सैन्य प्रौद्योगिकी में मूलभूत परिवर्तन आए थे, जो कंप्यूटर के विकास के साथ अब त्वरित गति से बदल रही है। 1991 में हुए खाड़ी युद्ध ने इस परिवर्तित प्रौद्योगिकी के आयुधों द्वारा भविष्य के युद्धों की एक झाँकी प्रस्तुत की है। उच्च प्रौद्योगिकी के कारण ही हम सब इस युद्ध को अपने ड्राइंगरूप से देख सके हैं। यह पुस्तक रक्षाविदों, रक्षा विज्ञान के विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए तो उपयोगी है ही, साथ ही जनसाधारण तथा भविष्य की पीढि़यों को परिवर्तित होती इस युद्ध-प्रौद्योगिकी की जानकारी देने में भी सहायक सिद्ध होगी।.

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Description

आदिकाल से युद्धों ने अनेक ऐसी प्रौद्योगिकियों को जन्म देने में विशेष भूमिका निभाई है, जो सभ्यता के विकास में भी महत्त्वपूर्ण रही हैं। उन्नीसवीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति से सैन्य प्रौद्योगिकी में मूलभूत परिवर्तन आए थे, जो कंप्यूटर के विकास के साथ अब त्वरित गति से बदल रही है। 1991 में हुए खाड़ी युद्ध ने इस परिवर्तित प्रौद्योगिकी के आयुधों द्वारा भविष्य के युद्धों की एक झाँकी प्रस्तुत की है। उच्च प्रौद्योगिकी के कारण ही हम सब इस युद्ध को अपने ड्राइंगरूप से देख सके हैं। यह पुस्तक रक्षाविदों, रक्षा विज्ञान के विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए तो उपयोगी है ही, साथ ही जनसाधारण तथा भविष्य की पीढि़यों को परिवर्तित होती इस युद्ध-प्रौद्योगिकी की जानकारी देने में भी सहायक सिद्ध होगी।.

About Author

विंग कमांडर डॉ. मनमोहन बाला (से.नि.) का जन्म सन् 1935 में लखनऊ में हुआ। सन् 1957 में लखनऊ से एम.एस-सी. फिजिक्स एवं सन् 1962 में इलाहाबाद से पी-एच.डी. करने के बाद भारत-चीन युद्ध 1962 से प्रेरित होकर देश सेवा हेतु भारतीय वायु सेना में कमीशन लिया। सन् 1965 एवं 1971 के भारत-पाक युद्धों में पदक प्राप्त किए। सन् 1979-86 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की देहरादून स्थित इलेक्ट्रॉनिकी प्रयोगशाला (DEAL) में महत्त्वपूर्ण कार्य किए। रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकॉनामिक सर्विसेज (RITES) की टीम हैसियत से यमन के अदन एयरपोर्ट को उन्नत बनाने के सुझाव दिए। रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज, रुड़की (भारत) एवं मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज, बगदाद (इराक) में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में एक सौ पचास से अधिक तकनीकी तथा अन्य विषयों पर हिंदी एवं अंग्रेजी में लेख प्रकाशित। कविता, कहानी एवं नाटक का भी लेखन किया। हिंदी नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन का भी अनुभव। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं आई.ई.टी.ई. (दिल्ली) के मानद् सचिव रहे।.

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