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Vishwamanav Rabindranath Tagore

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Narendra Jadhav
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

375

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1-4 Days

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Book Type

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SKU 9789351863250 Categories , Tag
Page Extent:
328

आलौकिक प्रतिभा-संपन्न, साक्षात् प्रतिभासूर्य, भारतमाता के एक महान् सुपुत्र रवींद्रनाथ टैगोर। साहित्य, संगीत, कला— इन सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान देनेवाले गुरुदेव टैगोर सर्वार्थों में युगनिर्माता थे। आज के भूमंडलीकरण के युग में कई दशक पहले पूर्व-पश्चिम संस्कृतियों को मिलाकर दुनिया में एक नई अक्षय संस्कृति निर्माण होने का सपना देखनेवाले द्रष्टा एवं विश्वमानव!

रवींद्रनाथ की लोकोत्तर प्रतिभा, उनकी बहुश्रुतता, संवेदनशीलता, उनके अनुभवों की समृद्धि और उन अनुभवों को साहित्य, संगीत, कला के माध्यम से व्यक्त करने की असामान्य क्षमता रखनेवाले गुरुदेव वंदनीय हैं, अभिनंदनीय हैं। रवींद्र-साहित्य और रवींद्र-संगीत प्रभावशाली तथा लुभावने हैं। रवींद्रनाथ का साहित्य एक बार पढ़ा तो फिर भूल नहीं सकते। वह आपके मन में बार-बार गूँजता रहता है।

रवींद्रनाथ का पूरा जीवन काव्य-संगीत का, शब्द-सुरों का, कलाओं का महोत्सव है, आनंदोत्सव है। वैश्वीकरण के दौर में पली-बढ़ी नई पीढ़ी को रवींद्रनाथ का परिचय मिले तो कैसे?

इस उपन्यास में युगनिर्माता विश्वमानव रवींद्रनाथ टैगोर अलौकिक साहित्य रचना का, उनके सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के महान् कार्यों का अधिक परिपूर्ण ढंग से अध्ययन करने का मार्ग खुलेगा और पाठक ‘रवींद्र रंग’ में रँग जाएँगे।

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Description

आलौकिक प्रतिभा-संपन्न, साक्षात् प्रतिभासूर्य, भारतमाता के एक महान् सुपुत्र रवींद्रनाथ टैगोर। साहित्य, संगीत, कला— इन सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान देनेवाले गुरुदेव टैगोर सर्वार्थों में युगनिर्माता थे। आज के भूमंडलीकरण के युग में कई दशक पहले पूर्व-पश्चिम संस्कृतियों को मिलाकर दुनिया में एक नई अक्षय संस्कृति निर्माण होने का सपना देखनेवाले द्रष्टा एवं विश्वमानव!

रवींद्रनाथ की लोकोत्तर प्रतिभा, उनकी बहुश्रुतता, संवेदनशीलता, उनके अनुभवों की समृद्धि और उन अनुभवों को साहित्य, संगीत, कला के माध्यम से व्यक्त करने की असामान्य क्षमता रखनेवाले गुरुदेव वंदनीय हैं, अभिनंदनीय हैं। रवींद्र-साहित्य और रवींद्र-संगीत प्रभावशाली तथा लुभावने हैं। रवींद्रनाथ का साहित्य एक बार पढ़ा तो फिर भूल नहीं सकते। वह आपके मन में बार-बार गूँजता रहता है।

रवींद्रनाथ का पूरा जीवन काव्य-संगीत का, शब्द-सुरों का, कलाओं का महोत्सव है, आनंदोत्सव है। वैश्वीकरण के दौर में पली-बढ़ी नई पीढ़ी को रवींद्रनाथ का परिचय मिले तो कैसे?

इस उपन्यास में युगनिर्माता विश्वमानव रवींद्रनाथ टैगोर अलौकिक साहित्य रचना का, उनके सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के महान् कार्यों का अधिक परिपूर्ण ढंग से अध्ययन करने का मार्ग खुलेगा और पाठक ‘रवींद्र रंग’ में रँग जाएँगे।

About Author

जाने-माने अर्थशास्त्री, नीति-निर्माता, शिक्षाशास्त्री, समाज-विज्ञानी और सुप्रसिद्ध लेखक नरेंद्र जाधव ने 22 पुस्तकों का लेखन/संपादन किया है, जिनमें रवींद्रनाथ ठाकुर पर तीन भाग (ग्रंथावली), रि-इमर्जिंग इंडिया, मॉनीटरी पॉलिसी, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड सेंट्रल बैंकिंग इन इंडिया, अनटचेबिल्स (सीमोन एंड शूस्टर, अमेरिका), आउटकास्ट—ए मेमॉयर (पेंग्विन, भारत) और मॉनीटरी इकोनॉमिक्स फॉर इंडिया शामिल हैं। इनके अतिरिक्त 27 प्रमुख सरकारी रिपोर्टें तथा पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित एवं राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अनेक व्याख्यान दिए हैं। अमेरिका की इंडियाना यूनिवर्सिटी से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त है। संप्रति योजना आयोग के सदस्य (केंद्रीय राज्य मंत्री का दरजा) के रूप में शिक्षा, श्रम-रोजगार, सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण विषयों को मुख्य रूप से देखते हैं। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के सदस्य भी हैं। डॉ. जाधव को अर्थशास्त्र, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति तथा सामाजिक कार्यों के लिए अब तक 55 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें चार मानद डी.लिट. उपाधियाँ और फ्रांस सरकार से मिली कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ एकेडमिक पाम्स प्रमुख हैं।

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