व्यभिचारी | VYABHICHARI
Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
RAJU SHARMA
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Category: Hindi
Page Extent:
367
‘व्यभिचारी’ फुललेन्थ नॉवेल तो नहीं हैं, न लम्बी कहानी ही हैं। अपनी सुविधा केलिए हम इन्हें उपन्यासिका कह रहे हैं। पर इन दो पुस्तकों में समाहित पाँच रचनाएँ विधा की संरचनाओं के सन्दर्भ में हमें भ्रमित करती हैं। भ्रम का एक बड़ा कारण यह है कि नोटिस नाम से ही इनकी एक रचना प्रकाशित हुई थी, जो कहानी के रूप में प्रशंसित और चॢचत रही है। वस्तुत: ये रचनाएँ अपने औपन्यासिक विजन, एपेक्लिटी (महाकाव्यात्मक अन्तर्वस्तु) और आकार के अन्तर्संघात, साथ ही अतिक्रमण, से निर्मित हुई हैं। अपने इन गुणों के कारण ये रचनाएँ पाठकों को आमन्त्रित-आकॢषत करेंगी, तो चुनौती भी प्रस्तुत करेंगी। इन दो पुस्तकों में सम्मिलित पाँच उपन्यासिकाएँ हैं—नोटिस-2, हमसैनिक फार्म्स की बदौलत, चुनाव के समक्षणिक सितम; व्यभिचारी, लवर्स। ये उपन्यासिकाएँ जीवन से गहरी आसक्ति और गम्भीर राजनीतिक समझ से निॢमत हैं। जीवन की डिटेलिंग इस आसक्ति और समझ को ऊध्र्व और ऊर्जावान बनाती है।
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Description
‘व्यभिचारी’ फुललेन्थ नॉवेल तो नहीं हैं, न लम्बी कहानी ही हैं। अपनी सुविधा केलिए हम इन्हें उपन्यासिका कह रहे हैं। पर इन दो पुस्तकों में समाहित पाँच रचनाएँ विधा की संरचनाओं के सन्दर्भ में हमें भ्रमित करती हैं। भ्रम का एक बड़ा कारण यह है कि नोटिस नाम से ही इनकी एक रचना प्रकाशित हुई थी, जो कहानी के रूप में प्रशंसित और चॢचत रही है। वस्तुत: ये रचनाएँ अपने औपन्यासिक विजन, एपेक्लिटी (महाकाव्यात्मक अन्तर्वस्तु) और आकार के अन्तर्संघात, साथ ही अतिक्रमण, से निर्मित हुई हैं। अपने इन गुणों के कारण ये रचनाएँ पाठकों को आमन्त्रित-आकॢषत करेंगी, तो चुनौती भी प्रस्तुत करेंगी। इन दो पुस्तकों में सम्मिलित पाँच उपन्यासिकाएँ हैं—नोटिस-2, हमसैनिक फार्म्स की बदौलत, चुनाव के समक्षणिक सितम; व्यभिचारी, लवर्स। ये उपन्यासिकाएँ जीवन से गहरी आसक्ति और गम्भीर राजनीतिक समझ से निॢमत हैं। जीवन की डिटेलिंग इस आसक्ति और समझ को ऊध्र्व और ऊर्जावान बनाती है।
About Author
जन्म : 1959 शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर। लोक प्रशासन में पी-एच.डी.। 1982 से 2010 तक आईएएस सेवा में रहे। उसके बाद से स्वतंत्र लेखन, मुसाफ़रत और यदा-कदा की सलाहनवीसी। लेखन के अलावा रंगकर्म, फ़िल्म व फ़िल्म स्क्रिप्ट लेखन में विशेष रुचि। प्रकाशन : हलफनामे, विसर्जन, पीर नवाज़, क़त्ल ग़ैर इरादतन (उपन्यास); शब्दों का खाकरोब, समय के शरणार्थी, नहर में बहती लाशें (कहानीसंग्रह); भुवनपति, मध्यमवर्ग का आत्मनिवेदन या गुब्बारों की रूहानी उड़ान, जंगलवश (नाटक)। अनेक नाटकों का अनुवाद व रूपांतरण पिता(ऑगस्त स्ट्रिनबर्ग)।
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