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ZINDAGI BULA RAHI HAI

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Smt. Preeti Shenoy
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

375

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1-4 Days

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Weight 445 g
Book Type

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SKU 9789390366330 Categories , Tag
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Page Extent:
242

अब मैं नहीं जानती, मैं क्या कर रही हूँ। घंटे अंतहीन रूप से खिंचते जा रहे हैं। मैं एक असाइनमेंट पूरा करने की भरपूर कोशिश कर रही हूँ, जो मुझे कॉलेज खुलने पर जमा करना है, लेकिन मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही हूँ। मैं अपर्याप्त, बेकार व हीन महसूस कर रही हूँ। मुझे यह रचनात्मक लेखन (क्रिएटिव राइटिंग) का कोर्स कभी नहीं करना चाहिए था। मेरे पास वास्तव में मेरे खुद के विचार नहीं हैं। मेरे प्रोफेसर ने भी यही कहा था। मैं केवल एक दिखावा हूँ, एक ढोंगी; एक ऐसी लड़की, जो अपना एम.बी.ए. पूरा नहीं कर पाई और केवल चीजों से भागने के लिए इस कोर्स में शामिल हो गई। यह सब कितना निरर्थक और दर्दनाक है! आज छुट्टी है, लेकिन जल्दी ही मुझे फिर से कॉलेज जाना होगा और उन सबका सामना करना होगा। मैं यह नहीं करना चाहती। मैं जहाँ हूँ, वहीं रहना चाहती हूँ। एक विचार मेरे दिमाग में साँप की तरह फुफकारकर आता है और जहर उगलता है—

‘इस कोर्स को छोड़ दो। यह तुम्हारे लिए नहीं है।’
जितना मैं इस बारे में सोचती हूँ, मेरा यकीन बढ़ता जाता है। मैं सोच रही हूँ कि अपने मम्मी-पापा को कैसे बताऊँगी कि मैं ड्रॉप करना चाहती हूँ—दूसरी बार?
उसी समय मुझे अपने कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आती है। मैं जानती हूँ, मेरे पापा होंगे।
मैं सीधी बैठ जाती हूँ। फिर से दवाएँ नहीं। मुझे यकीन है, मैं इन बेकार दवाओं की वजह से सोच नहीं पाती। मेरे माता-पिता जोर देते हैं कि मैं इन्हें खाऊँ, लेकिन जब मैं दवाएँ लेती हूँ तो मुझे सिर में भारीपन महसूस होता है। मेरी जीभ इतनी मोटी हो जाती है कि मैं बोल नहीं पाती। मैं सोचने में असमर्थ हो जाती हूँ।

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Description

अब मैं नहीं जानती, मैं क्या कर रही हूँ। घंटे अंतहीन रूप से खिंचते जा रहे हैं। मैं एक असाइनमेंट पूरा करने की भरपूर कोशिश कर रही हूँ, जो मुझे कॉलेज खुलने पर जमा करना है, लेकिन मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही हूँ। मैं अपर्याप्त, बेकार व हीन महसूस कर रही हूँ। मुझे यह रचनात्मक लेखन (क्रिएटिव राइटिंग) का कोर्स कभी नहीं करना चाहिए था। मेरे पास वास्तव में मेरे खुद के विचार नहीं हैं। मेरे प्रोफेसर ने भी यही कहा था। मैं केवल एक दिखावा हूँ, एक ढोंगी; एक ऐसी लड़की, जो अपना एम.बी.ए. पूरा नहीं कर पाई और केवल चीजों से भागने के लिए इस कोर्स में शामिल हो गई। यह सब कितना निरर्थक और दर्दनाक है! आज छुट्टी है, लेकिन जल्दी ही मुझे फिर से कॉलेज जाना होगा और उन सबका सामना करना होगा। मैं यह नहीं करना चाहती। मैं जहाँ हूँ, वहीं रहना चाहती हूँ। एक विचार मेरे दिमाग में साँप की तरह फुफकारकर आता है और जहर उगलता है—

‘इस कोर्स को छोड़ दो। यह तुम्हारे लिए नहीं है।’
जितना मैं इस बारे में सोचती हूँ, मेरा यकीन बढ़ता जाता है। मैं सोच रही हूँ कि अपने मम्मी-पापा को कैसे बताऊँगी कि मैं ड्रॉप करना चाहती हूँ—दूसरी बार?
उसी समय मुझे अपने कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आती है। मैं जानती हूँ, मेरे पापा होंगे।
मैं सीधी बैठ जाती हूँ। फिर से दवाएँ नहीं। मुझे यकीन है, मैं इन बेकार दवाओं की वजह से सोच नहीं पाती। मेरे माता-पिता जोर देते हैं कि मैं इन्हें खाऊँ, लेकिन जब मैं दवाएँ लेती हूँ तो मुझे सिर में भारीपन महसूस होता है। मेरी जीभ इतनी मोटी हो जाती है कि मैं बोल नहीं पाती। मैं सोचने में असमर्थ हो जाती हूँ।

About Author

प्रीति शेनॉय देश के शीर्ष पाँच सबसे अधिक बिकनेवाली लेखिकाओं में से एक हैं। ‘फोर्ब्स इंडिया’ की सबसे प्रभावशाली हस्तियों की सूची में उनका नाम है। उनकी पुस्तकों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2017 का ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ ब्रांड अकादमी पुरस्कार मिला है। उन्हें नई दिल्ली प्रबंधन संस्थान (न्यू दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट) द्वारा व्यावसायिक उत्कृष्टता के लिए शिक्षा का पुरस्कार (एकेडेमिया अवार्ड) भी मिला है। उन्होंने कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, जैसे आई.आई.टी. एवं आई.आई.एम. तथा के.पी.एम.जी., इसरो, इंफोसिस, एक्सेंचर जैसे प्रतिष्ठित कॉरपोरेट संगठनों में वार्त्ताएँ की हैं। वे एक कलाकार भी हैं, जो चित्र और सचित्र पत्रकारिता में विशेषज्ञता रखती हैं। उनकी लघु कहानियाँ और कविताएँ ‘कोंदे नास्त’ और ‘वर्वे’ जैसी प्रसिद्ध पत्रिकाओं में छपी हैं। बी.बी.सी. वर्ल्ड, कॉस्मोपॉलिटन, द हिंदू, द टाइम्स ऑफ इंडिया और अन्य सभी प्रमुख मीडिया में उनपर सचित्र लेख प्रकाशित हो चुके हैं। उनका एक बहुत लोकप्रिय ब्लॉग है और उन्होंने कई वर्षों तक ‘द फाइनेंशियल क्रॉनिकल’ में एक साप्ताहिक स्तंभ भी लिखा है। उनकी अन्य रुचियों में यात्रा, फोटोग्राफी और योग शामिल हैं।.

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